Beneficiary Card — Shlok India
जीवन बदला

अजय कुमार – दोबारा चलने की नई शुरुआत

अजय कुमार दुर्घटना के बाद चलने में असमर्थ हो गए थे। परिवार की ज़िम्मेदारियाँ बढ़ती जा रही थीं और जीवन कठिन होता जा रहा था।

Shlok India की मेडिकल टीम ने उन्हें perfectly-fitted कृत्रिम पैर प्रदान किया। रिहैबिलिटेशन और गेट-ट्रेनिंग ने उनके कदमों में आत्मविश्वास लौटा दिया।

“आपने मुझे दोबारा खड़े होने का हौसला दिया… अब मैं अपनी ज़िंदगी खुद चला रहा हूँ।”
Rehab: 6 सप्ताह हरियाणा
👣 जीवन बदला

मोहित वर्मा – संघर्ष से फिर से आत्मनिर्भरता तक

मोहित वर्मा मजदूरी करते थे, लेकिन हादसे में उनके पैर का हिस्सा खो गया। परिवार आर्थिक संकट में आ गया।

Shlok India ने उन्हें high-quality कृत्रिम पैर और फिजियोथेरेपी दी। आज वे फिर से काम कर रहे हैं।

“मेरी कमाई रुकी थी, लेकिन आपने उम्मीद नहीं रुकने दी…”
beneficiary
👣 जीवन बदला

राहुल सिंह – आत्मविश्वास और स्वतंत्रता दोनों वापस मिले

राहुल सिंह एक दुर्घटना के कारण सामान्य रूप से चल नहीं पाते थे। इससे उनका आत्मविश्वास भी काफी प्रभावित हुआ।

हमारी तकनीकी टीम ने उनकी ज़रूरतों के अनुसार कस्टम-मेड कृत्रिम पैर तैयार किया। आज राहुल न केवल आसानी से चल सकते हैं बल्कि अपनी नौकरी भी दोबारा शुरू कर चुके हैं।

“आपने जो सहारा दिया, उसने मेरे जीवन में फिर से ऊर्जा भर दी।”
Hariom Sharma

हरिओम शर्मा – हिम्मत के सहारे फिर से खड़े होने की कहानी

हरिओम शर्मा जी किसान हैं और हमेशा मेहनत को ही अपनी पहचान मानते थे। एक हादसे में उनका पैर गंभीर रूप से चोटिल हो गया, जिससे चलना लगभग असंभव हो गया। खेत-खलिहान का काम रुक गया और परिवार की आर्थिक ज़िम्मेदारियाँ बढ़ने लगीं।

फिर भी उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी। चोट बड़ी थी, लेकिन उनका जज़्बा उससे भी ज़्यादा बड़ा था। Shlok India की टीम ने उनके लिए हल्का, मज़बूत और आरामदायक कस्टम आर्टिफ़िशियल लिम्ब तैयार किया। रिहैबिलिटेशन और वॉक-ट्रेनिंग ने उन्हें फिर से संतुलन और गति सिखाई।

आज हरिओम जी दोबारा आत्मविश्वास के साथ अपने खेत का काम पहले की तरह कर रहे हैं।

“पैर ने साथ छोड़ा था, लेकिन आपने हिम्मत वापस दे दी… अब मैं फिर से अपने पैरों पर खड़ा हूँ।”
👣 जीवन बदला

राजेश कुमार – हिम्मत, संघर्ष और नए सहारे की कहानी

राजेश कुमार जी एक मेहनती व्यक्ति हैं, जो रोज़मर्रा के कामों के सहारे अपने परिवार का जीवन चलाते थे। लेकिन अचानक हुए एक हादसे में उनके पैर में गंभीर चोट आ गई। चलना मुश्किल हो गया और रोज़मर्रा के काम पूरी तरह रुक गए। परिवार की ज़िम्मेदारियाँ बढ़ती रहीं, लेकिन राजेश जी ने कभी हार नहीं मानी।

चोट गहरी थी, पर उनका हौसला उससे भी ज़्यादा मजबूत था। Shlok India की टीम ने उनका पूरा मूल्यांकन किया और उनके लिए हल्का, आरामदायक और लंबे समय तक चलने वाला कस्टम आर्टिफ़िशियल सपोर्ट तैयार किया। रिहैबिलिटेशन सेशन और वॉक-ट्रेनिंग ने उन्हें फिर से चलने का आत्मविश्वास दिया।

आज राजेश जी न केवल दोबारा चल पा रहे हैं, बल्कि पहले से कहीं अधिक आत्मनिर्भर महसूस कर रहे हैं।

“पहले हर कदम मुश्किल था, लेकिन Shlok India ने मुझे नया सहारा दिया… अब मैं फिर से अपने पैरों पर खड़ा हूँ।”